5 Simple Techniques For baglamukhi shabar mantra
5 Simple Techniques For baglamukhi shabar mantra
Blog Article
अर्थात् सुवर्ण के आसन पर स्थित, तीन नेत्रोंवाली, पीताम्बर से उल्लसित, सुवर्ण की भाँति कान्ति- मय अङ्गोवाली, जिनके मणि-मय मुकुट में चन्द्र चमक रहा है, कण्ठ में सुन्दर चम्पा पुष्प की माला शोभित है, जो अपने चार हाथों में- १.
“Aum Hreem Baglamukhi sarv dushtanaam vaacham mukham padam stambhyaJivhaam keelya, buddhim vinaashya hreem aum swaaha”
ऋषि श्रीदुर्वासा द्वारा उपासिता श्रीबगला-मुखी
उद्यत्-सूर्य-सहस्त्राभां, मुण्ड-माला-विभूषिताम् । पीताम्बरां पीत-प्रियां, पीत-माल्य-विभूषिताम् ।।
इन दो बगला-शाबर मन्त्रों के अतिरिक्त भी एक अन्य शाबर मंत्र गुरु-प्रसाद स्वरूप हमें प्राप्त हुआ था, जिसका उल्लेख मैं यहाँ कर रहा हूं। इस मन्त्र का विधान यह है कि सर्वप्रथम भगवती का पूजन करके इस मन्त्र का दस हजार की संख्या में जप करने हेतु संकल्पित होना चाहिए। तदोपरान्त एक निश्चित अवधि में जप पूर्ण करके एक हजार की संख्या में इसका हवन ‘मालकांगनी’ से करना चाहिए। तदोपरान्त तर्पण, मार्जन व ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए। तर्पण गुड़ोदक से करें। इस प्रकार इस मन्त्र का अनुष्ठान पूर्ण होता है। फिर नित्य-प्रति एक माला इस मन्त्र की जपते रहना चाहिए। इस मन्त्र का प्रभाव भी अचूक है अतः निश्चित रूप से साधक के प्रत्येक अभीष्ट की पूर्ति होती है। मन्त्र इस प्रकार है
'Om hreen bagalaamukhee sarv dushtaanaan vaacham mukham padam stambhay stambhay jeevahaan keelok keelok vinaashay hreen om svaaha'
Enemy elimination is often a outstanding trait of Mata Baglamukhi; hence, this mantra can be quite productive when addressing people today whose intentions could cause harm. It's going to eliminate all the negative entities from a path. Use this mantra when caught in a very perilous problem.
हेम-कुण्डल-भूषां च, पीत-चन्द्रार्ध-शेखराम् । पीत-भूषण-भूषाढ्यां, स्वर्ण-सिंहासने स्थिताम् ।।
शमशान के लिए गुरू आदेश अनुसार प्रयोग करें।
oṃ malayācala bagalā bhagavatī mahākrūrī mahākarālī rājamukha bandhanaṃ grāmamukha bandhanaṃ grāmapuruṣa bandhanaṃ kālamukha bandhanaṃ cauramukha bandhanaṃ vyāghramukha bandhanaṃ sarvaduṣṭa graha bandhanaṃ sarvajana bandhanaṃ vaśīkuru huṃ phaṭ svāhā।
अर्थात् साधक गम्भीराकृति, मद से उन्मत्त, तपाए हुए सोने के समान रङ्गवाली, पीताम्बर धारण किए वर्तुलाकार परस्पर मिले हुए पीन स्तनोंवाली, सुवर्ण-कुण्डलों से मण्डित, पीत-शशि-कला-सुशोभित, मस्तका भगवती पीताम्बरा का ध्यान करे, जिनके दाहिने दोनों हाथों में मुद्र्गर और पाश सुशोभित हो रहे हैं तथा वाम करों में वैरि-जिह्ना और वज्र विराज रहे हैं तथा जो पीले रङ्ग के वस्त्राभूषणों से सुशोभित होकर सुवर्ण-सिंहासन में कमलासन पर विराजमान हैं।
श्री-नित्ये बगला-मुखि! प्रति-दिनं कल्याणि! तुभ्यं नमः ।।
The devotees that have added Bagklamukhi Gayatri Mantra to their Way of life eliminate a number of criticism and lousy-mouthing. Not a soul can easily defame them. This mantra places an awesome deal with click here interactions and bargains.
पर – प्रज्ञापहारीं तां, पर – गर्व – प्रभेदिनीम् ।